हनुमत डटे रहो आसन पर जब तक कथा राम की होय
हनुमत डटे रहो आसन पर,
जब तक कथा राम की होय।।
माथे इनके मुकुट विराजे,
कानन कुंडल सोहे,
एक काँधे पर राम विराजे,
दूजे लक्ष्मण होय,
हनुमत डटे रहों आसन पर,
जब तक भजन राम का होय।।
एक काँधे पर गदा सोहे,
दूजे पर्वत होय,
लड्डुअन का तेरो भोग लगत है,
हाथ पसारे लोग,
हनुमत डटे रहों आसन पर,
जब तक भजन राम का होय।।
तुलसीदास आस रघुवर की,
हरि चरणन चित होय,
अंग तुम्हारे चोला सोहे,
लाल लंगोटा होय,
हनुमत डटे रहों आसन पर,
जब तक भजन राम का होय।।
हनुमत डटे रहो आसन पर,
जब तक कथा राम की होय।।