कानुड़ा थारी लागे छवि प्यारी
बिरज म बाँसुरी बाज़ी ।।
मीरां महला उतरी रे छापा तीलक लगाय ।
बतलाई बोल न हीं रे राणों रयों रिझाय रे।|
मीरा ऊभी गोखडे रे, उंटा कसीयो भार ।
दाव छोडयों मेडतो रे ,सीदी पुष्कर जाय रे।|
जहर पीयालो राणों भेजीयो रे दयो मीरां न जाय ।
कर चरणा मृत प़ी गयी रे,थे जानों यदुनाथ रे ।|
सर्प पिटारो राणों भेजियो रे दयो मीरां न जाय ,
खोल पिटारो मीरां पेरीयो रे बनग्यों नोसर हार रे।|
राणों मीरां पर कोपियों रे सूत लयी तलवार
मारया प्रायछित लागसि रे पीवर दयो पहुचाय रे ||
मीरां हर की लाडली रे,राणों बन को ठूंठ ।
समझाया समझयो नही रे ले ज्याति बेकुंट रे ।|